राज्य सरकार के कर्मचारियों को आश्वासित कैरियर प्रगति स्कीम (एसीपी) मंजूर किये जाने के लिए मार्गदर्शक सिद्धान्त- राज्य सरकार ने, राज्य सरकार कर्मचारियों के वेतनमान को राजस्थान सिविल सेवा (पुनरीक्षित वेतन) नियम, 2017 के अधीन 0101.2016 से पुनरीक्षित किया है। इन नियमों के नियम 14 और 15 के अधीन सरकारी कर्मचारी वित्तीय उन्नयन के लिए पात्र हैं। आश्वासित कैरियर प्रगति (एसीपी) की मंजूरी के लिए विस्तृत मार्गदर्शक सिद्धांत निम्न रूप से हैं-
(1) तीन वित्तीय उन्नयन होंगे। सेवा की गणना, नियमित नियुक्ति सीधे प्रवेश स्तर में किसी पद को ग्रहण करने की तारीख से की जायेगी। चतुर्थ श्रेणी, लिपिक वर्गीय,अधीनस्थ सेवाओं के कर्मचारी और ऐसे कर्मचारी जो लेवल 13 तक के एकल पद धारित कर रहे हैं, राजस्थान सिविल सेवा (पुनरीक्षित वेतन) नियम 2017 के नियम 14 में यथा उपबंधित 9 वर्ष की नियमित सेवा की समाप्ति पर एसीपी के लिए पात्र होंगे। राज्य सेवा के अधिकारी और ऐसे अधिकारी जो लेवल 14 में एकल पद धारित कर रहे है,राजस्थान सिविल सेवा (पुनरीक्षित वेतन) नियम2017 के नियम 15 में यथा उपबंधित 10 वर्ष की नियमित सेवा की समाप्ति पर एसीपी के लिए पात्र होंगे।
(2) एसीपी स्कीम राजस्थान सिविल सेवा पुनरीक्षित वेतन नियम 2017 की अनुसूची-1 के भाग ‘क’ में दिये गये लेवल के उत्क्रम में ठीक अगले लेवल में स्थानन ही परिकल्पित करती है। इस प्रकार एसीपीएस के अधीन वित्तीय उन्नयन के समय का लेवल, कतिपय मामलों में, जहां दो क्रमवार लेवलों के बीच नियमित पदोन्नति नहीं है, उससे भिन्न हो सकता है जो नियमित पदोन्नति के समय उपलब्ध होता है। ऐसे मामलों में, संबंधित संवर्ग के उत्क्रम में अगले पदोन्नति वाले पद का उच्चतर लेवल केवल नियमित पदोन्नति के समय पर दिया जायेगा।
(3) नियमित पदोन्नति के समय पर उपलब्ध वेतन-नियतन का फायदा स्कीम के अधीन वित्तीय उन्नयन के समय भी अनुज्ञात किया जायेगाइसलिए एक वेतनवृद्धि उस लेवल में दी जायेगी जिसमें से कर्मचारी को एसीपी मंजूर की जाती है और उसे उस में, जिसमें से एसीपी दी जानी है, इस प्रकार परिनिर्धारित अंक के समान सेल में ठीक उच्चतर स्तर पर रखा जायेगा और यदि उस लेवल में, जिसमें से एसीपी मंजूर की जाती है, ऐसा कोई सेल उपलब्ध नहीं हो तो उसे लेवल में, ठीक उच्चतर सेल में रखा जायेगा। तथापि, नियमित पदोन्नति के समय और वेतननियतन नहीं किया जायेगा यदि पदोन्नति उसी लेवल में है जिसमें से एसीपी मजूर की गयी है। तथापि, यदि पदोन्नति उच्चतर लेवल वाले पद पर है तो ही वेतन वेतन मेट्रिक्स में उस लेवल में समान सेल में नियत किया जायेगा और यदि कोई समान सेल नहीं है तो ठीक अगले सेल पर नियत किया जायेगा।
(4) उस दशा में जहां वेतनवृद्धि की तारीख और एसीपी के लिए पात्रता की तारीख एक ही है ऐसे मामलों में पहले विद्यमान लेवल में वेतनवृद्धि अनुज्ञात की जायेगी और तत्पश्चात् उपरोक्त मद (3) के उपबंधों के अनुसार वेतन ठीक अगले लेवल में नियत किया जाएगा।
(5)(1) एसीपी की मंजूरी के प्रयोजन के लिए नियमित सेवा वह होगी जो राजस्थान सिविल सेवा (पुनरीक्षित वेतन) नियम 2017 के नियम (5)(xiii) में यथा परिभाषित है और जो नीचे उदधृत है-
“(5)(xiii) नियमित सेवाओं से अभिप्रेत है और इसमेंसम्मिलित है ऐसी सेवा जो किसी कर्मचारी द्वारा सुसंगत भर्ती नियमों में अंतर्विष्ट उपबंधों के अनुसार नियमित चयन के पश्चात् उस पद के लिए अपनी नियुक्ति पर दी गयी हो। तदर्थ आधार पर/ अर्जेट अस्थायी आधार पर दी गयी सेवा को नियमित सेवा के रूप में नहीं गिना जायेगा। दूसरे शब्दों , वरिष्ठता के लिए गिने जाने वाली सेवा की कालावधि को ही नियमित सेवा के रूप में गिना जाएगा।
(ii) एसीपी स्कीम के अधीन फायदे प्रदान करने के लिए नियमित सेवा की गणना, सीधी भर्ती पर नियमित आधार पर सीधे प्रवेश लेवल में किसी पद को ग्रहण करने की तारीख से की जायेगी।
(iii) नियमित नियुक्ति से पूर्व तदर्थ/संविदा आधार पर की गयी सेवा की संगणना नहीं की जायेगी। तथापि, नये विभाग में नियमित नियुक्ति के पूर्व अन्य सरकारी विभाग में उसी लेवल वाले पद पर किसी खण्डता के बिना पूर्व निरन्तर नियमित सेवा की भी केवल एसीपीएस के प्रयोजन के लिए (और न कि नियमित पदोन्नतियों के लिए) अर्हक नियमित सेवा के प्रति संगणना की जायेगी। तथापि, ऐसे मामलों में एसीपीएस के अधीन फायदों पर, नये पद में परिवीक्षाकाल की सफलतापूर्वक समाप्ति तक विचार नहीं किया जायेगा। उदाहरण के लिए नियमित रूप से भर्ती किये गये पटवारी के मामले में जिसे कनिष्ठ लिपिक के अन्य पद पर उसी लेवल में नियुक्त किया जाता है, तो उसके द्वारा पटवारी के रूप में की गयी सेवावधि की कनिष्ठ लिपिक के रूप में एसीपी मंजूर करने के प्रयोजन के लिए परिवीक्षाकाल के सफलतापूर्वक पूर्ण करने के पश्चा संगणना की जायेगी।
(iv) ‘नियमित सेवा” में प्रतिनियुक्ति/अन्यत्र सेवा सक्षम प्राधिकारी द्वारा सम्यक रूप से स्वीकृत अध्ययन छुट्टी और अन्य प्रकार की समस्त छुट्टी (परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षणार्थी को मंजूर की गयी 90 या, यथास्थिति, 30 दिन से अधिक असाधारण छुट्टी को छोड़कर) पर व्यतीत समस्त कालावधियाँ सम्मिलित हैं।