हे स्वर की देवी माँ, वाणी में मधुरता दो।
हम गीत सुनाते हैं, संगीत की शिक्षा दो।
अज्ञान ग्रसित होकर, क्या गीत सुनायें हम।
टूटे हुए शब्दों से, क्या स्वर को सुनाएं हम।
दो ज्ञान राग माँ तुम, वाणी में मधुरता दो।
सरगम का ज्ञान नहीं, शब्दों में सार नहीं।
तुम्हें आज सुनाने को, मेरी मैया कुछ भी नहीं।
संगीत समन्दर से, स्वर ताल हमें दे दो।
भ्क्ति ना शक्ति है, शब्दों का ज्ञान नहीं।
तुम्हे आज सुनाने को, मेरी मैया कुछ भी नहीं।
गीतों के खजाने से, एक गीत हमें दे दो।