राजस्थान कर्मचारी राज्य बीमा योजना क्या है ?

राज्य बीमा (State Insurance Scheme for Rajasthan Government employees.) राज्य कर्मचारियों, पंचायत समिति एवं जिला परिषद के कर्मचारियों तथा सरकार द्वारा नियमित किये गये वर्कचार्ज कमचारियों का राज्य सरकार से अनुबंध है जिसके अन्तर्गत बीमेदार द्वारा बीमाकर्ता (राज्य बीमा विभाग) को नियमित प्रीमियम देने पर बीमेदार अथवा उसके मनोनीत को किसी घटना विशेष के घटित होने पर पूर्व निश्चित धन राशि के भुगतान हेतु आश्वस्त किया जाता है अथवा सेवानिवृत्ति पर बीमाधन एवं देय बोनस राशि का भुगतान किया जाता है।

बीमाधन क्या है ?

बीमानुबंध में प्रविष्टि पर बीमेदार की आगामी वर्षगांठ पर आयु एवम् उसके द्वारा देय प्रीमियम के आधार पर राशि, जो कि घटना विशेष के घटित होने पर देय है, बीमाधन कहलाती है।

राज्य बीमा योजना (State Insurance Scheme) क्या है ?

राज्य बीमा योजना (State Insurance Scheme) राज्यकर्मियों के जीवन पर जोखिम वहन करने वाली एक कल्याणकारी योजना है जिसके द्वारा बचत को प्रोत्साहन देने के साथ साथ राज्यकर्मी तथा उसके परिजनों को आर्थिक सम्बल प्राप्त होता है।

योजना किन नियमों के अन्तर्गत लागू है ?

राजस्थान सरकारी कर्मचारी बीमा नियम, 1998 के अन्तर्गत यह योजना लागू है। पूर्व में यह योजना वर्ष 1953 के नियमों के अन्तर्गत लागू थी ।

योजना कब से एवम् किन-किन श्रेणियों के कर्मचारियों पर अनिवार्य / ऐच्छिक रूप से लागू है ?

योजना विभिन्न चरणों में निम्न प्रकार से लागू की गयी है –
01.08.1943 से तत्कालीन जयपुर रियासत के कर्मचारियों पर,
01.01.1954 से राजस्थान सरकार के कर्मचारियों पर,
01.04.1989 से पंचायत समिति एवम् जिला परिषद् के कर्मचारियों पर,
01.04.1995 से राज्य सरकार द्वारा नियमित किये गये वर्कचार्ज कर्मचारियों पर अनिवार्य रूप से तथा
01.04.1998 से सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों राजस्थान सरकार के अधीन के किसी पब्लिक सैक्टर उपक्रम के अधीन पद धारण करने वाले किसी कर्मचारी का इस बीमा स्कीम के अधीन बीमा करने के के लिये स्वतंत्र होगा यदि उक्त उपक्रम के 50 प्रतिशत या उससे अधिक कर्मचारी बीमा कराने के लिये सहमत हों एवम् राजस्थान केडर के अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों पर ऐच्छिक रूप से ।

कर्मचारी कब बीमित होता है ?

कर्मचारी के सेवा में प्रविष्ट होने के दो वर्ष (परिवीक्षा काल ) पूर्ण होने के पश्चात् आने वाले मार्च से कर्मचारी बीमित होगा। इसके लिए मार्च माह के वेतन में प्रीमियम की प्रथम कटौती की जाती है। कर्मचारी के वेतन में वृद्धि होने अथवा बीमा की खण्ड दर में परिवर्तन होने पर बढ़ी हुई दर पर प्रीमियम की कटौती भी आगामी मार्च माह के वेतन से दिये जाने का प्रावधान है।

वर्तमान में प्रीमियम कटौती दर क्या है ?

राज्य सरकार के आदेश क्रमांक प.13 (21) वित्त / राजस्व / 76 पार्ट जयपुर दिनांक 13.03.2020 के अनुसार वर्तमान में प्रीमियम की कटौती दर निम्न प्रकार है:

क्रम संख्यावेतन स्लेब / पे स्लेबन्यूनतम प्रीमियम कटौती जो करवायी जानी
अनिवार्य है।
अधिकतम प्रीमियम कटौती करवाई
जा सकती है।
122000 तक8002200
222001 से 2850012003000
328501 से 4650022005000
446501 से 7200030007000
572001 से अधिक50007000
6अधिकतम70007000

उल्लेखनीय है कि कर्मचारी अपनी नियत वेतन खण्ड से दो स्लेब अधिक स्वेच्छा से बीमा प्रीमियम की कटौती करवा सकता हैं किन्तु प्रिमियम में वृद्धि 55 वर्ष की आयु तक ही मान्य हैं इसके बाद प्रिमियम स्थिर रहता है ।

क्या स्वयम् को अधिक बीमाधन के लिए बीमित करवाया जा सकता है ?

वेतन खण्ड के लिए निर्धारित प्रीमियम की कटौती करवाना अनिवार्य है। हाँ, यदि कोई बीमेदार चाहे तो स्वेच्छा से अपने वेतन खण्ड से आगामी दो वेतन खण्डों के लिए निर्धारित दर पर कटौती करवाकर अधिक बीमाधन के लिए भी बीमित हो सकता है। लेकिन वेतनखण्ड 05 के अन्तर्गत आने वाले बीमेदार अधिकतम 7000/- रू. प्रतिमाह तक की ही कटौती करवा सकते हैं।

क्या इस योजना के अन्तर्गत की गयी कटौतियों पर आयकर में छूट का प्रावधान है ?

हॉ, इस योजना के अन्तर्गत जमा प्रीमियम राशि पर धारा 80ब आयकर अधिनियम 1961 के अन्तर्गत आयकर में छूट का प्रावधान है।

क्या राज्य सरकार पॉलिसी के अन्तर्गत देय लाभों के भुगतान की गारण्टी देती है ?

हाँ, राज्य सरकार बीमा संविदाओं के अन्तर्गत देय लाभों के राज्य की संचित निधि से भुगतान की गारण्टी देती है।

बीमा पॉलिसी के अन्तर्गत देय लाभों का भुगतान कब कब एवम् किन किन परिस्थितियों में देय है ?

परिपक्वता / मृत्यु / अध्यपर्ण राशि का योजना के अन्तर्गत निम्न परिस्थितियों में भुगतान देय है:
बीमेदार की मृत्यु होने पर उसके मनोनीत को,
पॉलिसी की परिपक्वता तिथि पर बीमेदार को,
पॉलिसी की परिपक्वता तिथि से पूर्व बीमेदार राज्य सेवा छोड़ने या उसे सेवा से अलग कर दिये जाने पर उसके द्वारा अन्य किसी विकल्प को न चुनने की स्थिति में बीमेदार को अध्यर्पण राशि का भुगतान किया जाता है।

राज्य बीमा योजना से राज्य कर्मियों को क्या लाभ मिलते है ?

प्रीमियम के बदले बीमेदार को पॉलिसी की परिपक्वता तिथि पर बीमाधन मय बोनस प्राप्त होता है। परिपक्वता तिथि से पूर्व बीमेदारकी मृत्यु होने पर उसके मनोनीत को बीमाधन की दो गुनी राशि का भुगतान मय बोनस किया जाता है।

परिपक्वता तिथि से पूर्व राज्य सेवा से अलग हो जाने वाले बीमेदारों के प्रकरणों में उनके द्वारा अध्यर्पण भुगतान के विकल्प का चयन करने की स्थिति में, अध्यर्पण राशि (सेवा से अलग होने तक की पॉलिसी अवधि से सम्बन्धित अध्यर्पण गुणांक के आधार पर निर्धारित) का भुगतान किया जाता है।

बीमाधन की गणना का आधार एवम् प्रक्रिया क्या है ?

राज्य बीमा पॉलिसियों के बीमाधन की गणना हेतु योजना में बीमेदार की प्रविष्टि पर आयु हेतु गुणक निर्धारित है। बीमेदार की आगामी वर्षगांठ पर आयु से सम्बन्धित गुणांक को उसके द्वारा देय मासिक प्रीमियम से गुणा कर बीमाधन निर्धारित किया जाता है।

कालान्तर में निर्धारित प्रीमियम दर से अधिक कटौती की स्थिति उत्पन्न होने पर देय अतिरिक्त बीमाधन की गणना भी उपर्युक्तानुसार की जाती है। (For more information click here.)

विभाग द्वारा कितने प्रकार की पॉलिसी जारी की जाती है ?

वर्तमान में विभाग द्वारा केवल सावधि (एण्डोमेंट) पॉलिसी जारी की जाती है। पूर्व में सावधि पालिसी के अतिरिक्त आजीवन पालिसी भी जारी की जाती थी।

सावधि बीमा पॉलिसी पर कितने प्रकार के बोनस देय है ?

सावधि बीमा पॉलिसी पर चार प्रकार के बोनस देय हैं:

रिवर्शनरी बोनस:– यह बोनस प्रति वर्ष बीमा निधि के मूल्यांकन के आधार पर मूल्यांकन अवधि के अंत में प्रवृतमान पॉलिसियों हेतु राज्य सरकार द्वारा घोषित दर से दिया जाता है। वर्ष 2015-16 के लिए रिवर्शनरी बोनस की दर सावधि पॉलिसी पर 90/- प्रति हजार बीमाधन प्रति वर्ष है एवम् प्रवृतमान आजीवन पॉलिसी पर 112.5 /- प्रति हजार बीमाधन प्रतिवर्ष है।

अंतरिम बोनस:- यह बोनस किसी वर्ष रिवर्शनरी बोनस घोषित न किये जाने की स्थिति में घोषित वर्ष के रिवर्शनरी बोनस की दर के आधार पर दिया जाता है।

अतिरिक्त बोनस: यह बोनस पूर्व में जारी समाश्वासनो (एश्यारेंसेज) पर सेवा निवृति की आयु में परिर्वतन के कारण मूल्यांकक (एक्च्यूरी) द्वारा निर्धारित गुणांक की दर से दिया जाता है।

टर्मिर्नल बोनस:- यह बोनस बीमा पॉलिसी के पूर्ण अवधि तक जारी रहने की स्थिति में दिया जाता है। वर्ष 2015-16 की समाप्ति पर इसकी दर 4 /- प्रति हजार बीमाधन प्रति वर्ष है।

बोनस निर्धारण का आधार एवम् प्रक्रिया क्या है ?

बोनस निर्धारण हेतु योजना के अन्तर्गत वर्ष की प्राप्तियों, भुगतान, ब्याज प्राप्तियाँ एवम् प्रबन्धकीय व्यय के आधार पर सम्पतियों एवम् दायित्वों की बैलेन्सशीट तैयार की जाती है। बैलेन्सशीट में अधिशेष की स्थिति में मूल्यांकक कुल बीमाधन के आधार पर प्रति हजार बीमाधन के लिए बोनस दर की अनुशंषा करता है। मूल्यांकक की अनुशंषा के आधार पर राज्य सरकार राज्य बीमा पॉलिसी पर बोनस के आदेश जारी करती है। स्वत्व राशि के निर्धारण के समय विभिन्न अवधियों के लिए घोषित बोनस दरों के अनुसार बीमाधन पर बोनस राशि की गणना की जाती है।

क्या राज्य सरकार द्वारा निधि में जमा राशि पर ब्याज दिया जाता है ?

निधि में जमा राशि पर राज्य सरकार द्वारा ब्याज दिया जाता है। वर्तमान में राज्य सरकार के आदेश क्रमांक एफ4 (99) एफडी / रेवेन्यु / 92 दिनांक 17.04.2020 के द्वारा इसकी दर 7.5 प्रतिशत वार्षिक है।

क्या बीमा योजना में बीमेदार को ऋण की सुविधा उपलब्ध है ?

योजना के अन्तर्गत बीमेदार द्वारा कुछ शर्तों के अधीन ऋण प्राप्त किया जा सकता है ।

अधिक कटौती किस आयु तक की जा सकती है ?

 अधिक कटौती 55 वर्ष की आयु तक की जा सकती है।

क्या बीमा ऋण पर विभाग द्वारा ब्याज लिया जाता है ?

वर्तमान में दिनांक 01.04.2020 से बीमा ऋण पर बीमेदार से लिये जाने वाले ब्याज की दर 7.5 प्रतिशत वार्षिक है। नवीन बीमा नियमों के अन्तर्गत निधि पर देय एवम् ऋण प्रकरणों में लागू ब्याज दर में समानता निधि द्वारा अर्जित ब्याज के परिप्रेक्ष्य में लाई गई है।

राज्य बीमा योजना में नाम निर्देशिती किसे किया जावे ?

बीमाकृत व्यक्ति अपने पति / पत्नि, संतान / संतानों, भ्राता (भ्राताओं), बहिन (बहिनों), पिता या माता को नाम निर्देशिती रूप में नियुक्त करने का हकदार होग। यदि नाम निर्देशन करते समय उल्लेखित कोई भी संबंधी जीवित नही है तो, अन्य व्यक्ति को अपने नाम निर्देशिती के रूप में नियुक्त करने का हकदार होगा।

परन्तु यह कि बीमाकृत व्यक्ति के विवाह के पूर्व किसी भी व्यक्ति के पक्ष में किया गया और तत्पश्चात रद्द नही किया गया नाम निर्देशन उसके विवाह के पश्चात उसी पत्नि / पति के पक्ष में स्वतः रद्द किया हुआ समझा जायेगा ।

परिपक्वता के पश्चात् पॉलिसी जारी रखना ?

बीमाकृत व्यक्ति को उसकी सेवानिवृत्ति के ठीक पश्चात् आने वाले 31 मार्च तक बीमे को जारी रखने की अपनी इच्छा व्यक्त करने को विकल्प होगा। ऐसी स्थिति में बीमाकृत राशि, विस्तारित अवधि के बोनस सहित, उसकी सेवानिवृत्ति के ठीक पश्चात आने वाले प्रथम अप्रैल को संदेय होगी।