26. उत्तेजनात्मक (नशीले) पेयों और पदार्थों का उपभोग-

कोई सरकारी कर्मचारी-

(क) तत्समय उस क्षेत्र में प्रवृत (लागू) नशीले पदार्थों से संबंधी किसी विधि (कानून) का कठोरता के साथ पालन करेगा;

(ख) अपने कर्तव्य पालन के दौरान किसी मादक पेय (शराब) या औषध के प्रभाव में नहीं रहेगा। उचित ध्यान रखेगा कि किसी समय उसका कर्तव्य पालन किसी भी प्रकार से ऐसे पेय (शराब) या औषध के प्रभाव से प्रभावित न हो, न ऐसे समय के निकट ऐसा पेय या औषध लेगा जब कि उसे अपने कार्य पर जाना हो और उसके मुंह की दुर्गन्ध से या उसके व्यवहार से साधारणतया दूसरों को ऐसा प्रतीत न हो कि उसने कोई पेय या पदार्थ लिया है।

(ग) किसी शराब या मादक पदार्थ के प्रभाव से वह किसी सार्वजनिक स्थान पर नहीं जावेगा।

(घ) कोई मादक पेय या पदार्थ अधिक मात्रा में उपयोग नहीं करेगा ।

[परिपत्र क्र: प. 9(5)(30) कार्मिक/क- 3/ जाँच / 2004 पार्ट दिनांक 20.09.2013]

27. अधिकारियों द्वारा विदेशी संविदा करने वाली फर्मों से मार्ग व्यय और आतिथ्य स्वीकार करना-

कोई अधिकारी विदेश (यात्रा) के लिए मार्ग व्यय और निःशुल्क आवास भोजन व्यवस्था के रूप में आतिथ्य के किसी प्रस्ताव को न तो स्वीकार करेगा और न उसे ऐसी स्वीकृति की अनुमति ही दी जावेगी यदि ऐसा प्रस्ताव किन्हीं विदेशी फर्मों द्वारा किया गया हो, जो सरकार के साथ प्रत्यक्ष रूप में या (उनके) भारत स्थित प्रतिनिधियों के द्वारा संविदा (ठेका) करती है। इसका एकमात्र अपवाद विदेशी फर्म *[जो अपनी सरकार से प्रतिपूर्ति राशि प्राप्त करती है] द्वारा सहायता कार्यक्रम के अन्तर्गत विदेशी प्रशिक्षण की सुविधायें प्रदान करने के बारे में होगा। *(जी.एस.आर. 102, अधिसूचना सं. एफ. 9(5 ) (30 ) कार्मिक / क- 3 /2004 दिनांक 3-3-2008 द्वारा जोड़ा गया।)

28. भ्रमण (दौरे) के समय अधीनस्थ स्थापन (स्टाफ) का आतिथ्य ग्रहण करना-

जब कोई सरकारी कर्मचारी भ्रमण (दौरे) पर जावे, तो वह विश्राम के स्थानों पर निवास एवं भोजन का अपना स्वयं का प्रबन्ध करेगा और अधीनस्थ कर्मचारियों से न तो आतिथ्य स्वीकार करेगा, न अधीनस्थ कर्मचारी अपने उच्चाधिकारियों को ऐसे आतिथ्य का प्रस्ताव ही करेंगे।

29. सेवा के मामलों में न्यायालय की शरण-

कोई सरकारी कर्मचारी पहले साधारण शासकीय मार्ग या उपाय का सहारा लिये बिना अपने नियोजन से या सेवा की शर्तों से उत्पन्न किसी व्यथा के लिए किसी न्यायालय से निर्णय प्राप्त करने की कोशिश नहीं करेगा, ऐसे मामलों में भी जहां विधिक रूप से ऐसा उपाय (उपचार) ग्राह्य है।

30. निर्वचन यदि इन नियमों की व्याख्या ( अर्थ) के बारे में कोई प्रश्न उठता है (तो) वह (प्रश्न) सरकार के कार्मिक विभाग को संप्रेषित किया जावेगा, जिसका उस प्रश्न पर निर्णय अन्तिम होगा।

31.(राजस्थान सिविल सेवायें (आचरण) नियम 1971) शक्तियों का प्रत्यायोजन-

सरकार, (किसी) सामान्य या विशेष आज्ञा द्वारा यह निर्देश दे सकेगी कि कोई शक्ति इन नियमों के अधीन (सिवाय इस नियम व नियम 30 के) उस (सरकार) के द्वारा या विभागाध्यक्ष द्वारा प्रयोग की जाने योग्य है, ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुए जो उस आज्ञा में वर्णित है, किसी ऐसे अधिकारी या प्राधिकारी द्वारा भी प्रयोग में लाई जा सकेगी, जिससे उस आज्ञा में वर्णित किया गया है।

32. निरसन और व्यावृति-

(1) राजस्थान सरकार कर्मचारी एवं सेवानिवृत कर्मचारी आचरण नियम, 1950, जहां तक प्रवृत है और विज्ञप्ति और आज्ञायें जो इन नियमों के अधीन प्रसारित एवं लागू की गई हो, ऐसी सीमा तक, जहां वे उन व्यक्तियों पर लागू होती है, जिन पर कि ये नियम लागू होते हैं, एतद्द्वारा निरसित की जाती है।

परन्तु यह है कि-(i) उपरोक्त नियमों विज्ञप्तियों और आज्ञाओं या उनके अध्यधीन की गई किसी बात या किसी कार्यवाही के पूर्व प्रवर्तन को ऐसे निरसन प्रभावित नहीं करेगा।

(ii) इन नियमों के पूर्व प्रभावशाली होने के समय इन नियमों, विज्ञप्तियों या आज्ञाओं के अधीन विचारधीन किन्हीं कार्यवाहियों या इन नियमों के प्रवृत होने के बाद आरम्भ की गई ऐसी कार्यवाहियां चालू रहेंगी और यथासंभव इन नियमों के प्रावधानों के अनुसार निष्पादित की (निपटायी) जावेगी।

(2) इन नियमों में से कुछ भी किसी व्यक्ति को, जिस पर ये नियम लागू होते हैं, किसी ऐसे अधिकार से वंचित नहीं करेगा, जो उसे उप नियम ( 1 ) द्वारा निरसित नियमों, विज्ञप्तियों या आज्ञाओं के अधीन इन नियमों के लागू होने से पहले पारित की गई किसी आज्ञा से प्राप्त हुआ हो।