नेशनल ग्रीन कोर जिसे एन.जी.सी. के नाम से भी जाना जाता है, भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा प्रारम्भ किया गया एक कार्यक्रम है जिसमें स्कूली बच्चे पृथ्वी संरक्षण अभियान के संचालक के रूप में कार्य करते हैं। वर्ष 2001-2002 में शुरू हुए इस एन.जी.सी. कार्यक्रम में 1,00,000 से भी ज्यादा स्कूल, अधिकाधिक शिक्षक व 40 लाख से भी ज्यादा छात्र संरक्षण प्रयासों में शामिल है। एन.जी.सी कार्यक्रम का उद्देश्य स्कूली बच्चों को ऐसे अवसर प्रदान करना है जिससे कि वे अपनी संवेदनशीलता व कार्यों के द्वारा टिकाऊ पर्यावरण की रचना कर सकें। नवीन शैक्षणिक तरीकों व अनुभवों द्वारा छात्रों में मुद्दों की गहरी समझ विकसित की जा सकती है।

कार्यक्रम के उद्देश्य हैं:

  • स्कूल बच्चों को स्वयं करके देखने के अनुभवों द्वारा उनके आस पास के पर्यावरण से जुड़ी, उसमें होने वाली अन्तः क्रियाओं और समस्याओं के बारे में जानकारी प्रदान करना ।
  • विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण हेतु प्रेक्षण, प्रयोग, सर्वेक्षण, जानकारी एकत्रण, विश्लेषण तथा विवेचन जैसे कौशल विकसित करना
  • सामाजिक समूहों के साथ परस्पर क्रिया के द्वारा पर्यावरण और उसके संरक्षण के बारे में उचित दृष्टिकोण विकसित करना।
  • क्षेत्र भ्रमण और प्रदर्शन गतिविधियों द्वारा बच्चों में पर्यावरण एवं विकास के मुद्दों के बारे में संवेदनशीलता लाना।
  • बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण द्वारा राही चुनाव हेतु तर्कात्मक व स्वंतत्र सोच को बढ़ावा देना ।
  • बच्चों को पर्यावरण संरक्षण संबंधी कार्य परियोजनाओं में शामिल कर उन्हें प्रेरित करना ।

एन.जी.सी. का क्रियान्वयन

एन.जी.सी. कार्यक्रम देश भर के स्कूलों में स्थापित इको क्लबों के द्वारा कार्य करता है। वे मान्यता प्राप्त रकूल जो कक्षा 12 तक हों, इको क्लब की शुरूआत कर सकते हैं। प्रत्येक इको क्लब में 30-50 ऐसे बच्चे शामिल हो सकते हैं जिनका पर्यावरणीय मुद्दों में रूझान हो । स्कूल से चयनित एक प्रभारी शिक्षक अपनी रूचि व पर्यावरण विषय से उसके जुड़ाव के आधार पर इको क्लब की गतिविधियों का संचालन करता है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार, प्रत्येक जिले में स्थापित 250 इको क्लबों में प्रत्येक क्लब को राज्य नोडल एजेंसी के माध्यम से रू0 2500 वार्षिक की आर्थिक सहायता प्रदान करता है।

इको क्लब क्या है ?

इको क्लब छात्रों का एक समूह है जो पर्यावरण के लाभ हेतु कार्यक्रमों में भाग लेने के इच्छुक रहते हैं। पर्यावरण क्लब गठन के अन्तर्निहित उद्देश्य बच्चों को पर्यावरण में ले जाना एवं पर्यावरण को कक्षा में लाना है। पर्यावरण शिक्षा गतिविधियों का केन्द्र इको क्लब निम्न गतिविधियां कर सकता है।

  • प्रकृति में पर्यावरण में सभी जन्तुओं के मध्य उपस्थित संबंधों को समझने एवं सराहना करने में ।
  • बच्चों में कई प्रकार के गुण जैसे नेतृत्व, आपसी सम्पर्क, रचनात्मकता, योजना एवं आयोजन कराने का मौका देता है।
  • समूह प्रेरित परियोजनाओं में भागीदारी से बच्चों में नेतृत्व, वार्तालाप, संरचनातमक, योजना की योग्यताओं का विकास होता है।

इको क्लब के सदस्यों की जिम्मेदारी

प्रधानाध्यापक या संस्थान प्रमुख क्लब का प्रमुख बन सकता है एवं एक शिक्षक को निरीक्षक बना सकते हैं, जो क्लब का अध्यक्ष होगा। मतदान के द्वारा कोषाध्यक्ष एवं सचिव का चयन होगा। सचिव एवं कोषाध्यक्ष के साथ मिलकर अध्यक्ष कई कमेटियों का निर्माण कर सकता है जो विभिन्न गतिविधियों की देख रेख करेगी।

प्रमुख:- इको क्लब के संचालन हेतु पूर्ण रूपेण समर्पित ।

अध्यक्ष:- वरीयता क्रम में द्वितीय क्लब की सभी प्रशासनिक तथा शैक्षणिक गतिविधियों की जिम्मेदारी,  सदस्यों के प्रोत्साहन एवं दिशा-निर्देशन की जिम्मेदारी। वह विद्यालय में अन्य शिक्षकों के साथ इको क्लब की गतिविधियों में सहभाग करता है।

सचिव:- नियमित रूप से इको क्लब की सभा कराने एवं विभिन्न गतिविधियों के प्रारम्भ करने एवं आयोजन की जिम्मदारी होती है। विभिन्न समितियों द्वारा कार्य करवाने एवं लेखा व गतिविधि सम्बन्धी तथ्यों के संग्रहण की जिम्मेदारी सचिव की होती है।

कोषाध्यक्ष:- इको क्लब के शुल्क के संग्रहण, बाहरी आय-व्यय व बचत का लेखा जोखा रखने की जिम्मेदारी कोषाध्यक्ष की होती है। सदस्य – सदस्यों को इको क्लब की गतिविधियों एवं बैठकों में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए। उन्हें अपने मित्रों, माता-पिता एवं पड़ोसियों को इको क्लब की गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

इको क्लब का पहचान चिन्ह व प्रतिज्ञा

प्रकृति-पेड़ की आकृति
संकल्प- दोनों बन्द मुट्ठियां
पंजे- वन्य जीव
बालक की आकृति- बाल शिक्षा में पर्यावरण समाहित
तितली संरचना – कीड़े-मकोड़े हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के ही अंग हैं
सूर्य से निकलती ज्वालाएं- उर्जा का स्रोत सूर्य से निकलती पांच रेखाएं- जीव शरीर पंच तत्वों से मिलकर बना है।

“हम इको क्लब के सदस्य प्रतिज्ञा करते हैं कि हम- अपने घर, विद्यालय और पास-पड़ोस के पर्यावरण में सुधार के लिये प्रयास करेंगे। इसके लिये पेड़ लगाएंगे एवं देखभाल रकेंगे। प्रकृति के सुधार के लिये क्रियाकलाप करेंगे। पर्यावरण के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करेंगे। पानी, बिजली एवं कागज की बरबादी नहीं करेंगे।”

इको क्लबों हेतु कुछ गतिविधियाँ:

  1. केस स्टडी तैयार करना, पर्यावरण मित्र उत्पादों की सूची बनाना और पर्यावरण पर प्रभाव डालने सामाजिक समूहों की गतिविधियों के बारे में जानकारी एकत्र करना।
  2. सुनियोजित संरक्षण प्रयासों के लिए सहायता हेतु भूमि उपयोग के तरीकों, प्रजातियों की विविधता, औषधीय पौधों आदि के बारे में आँकड़े एकत्र करना
  3. मृदा, जल एवं वायु की गुणवत्ता का परिक्षण और उनका स्वास्थ्य पर प्रभाव जानना।
  4. प्राकृतिक रंग व औषधीय प्रसाधन बनाना सीखना।
  5. आगुन्तकों को चिड़ियाघर, वनरपति उद्यानों, राष्ट्रीय उद्यानों और सार्वजनिक उद्यानों में मार्गदर्शन या सहायता हेतु स्वंयसेवक के रूप में कार्य करना ।
  6. विद्यालय में छोटी सी फल वाटिका, बीज बैंक, वृक्षोद्यान आदि की शुरूआत कर उसकी देखभाल करना ।
  7. स्थानीय आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु पर्यावरण मित्र गतिविधियों का प्रदर्शन / बढ़ावा देना जैसे अरसायनिक कीट प्रबन्धन, चारागाहों को संरक्षित करने हेतु पशुओं को चारा घर पर ही देना तथा ऊर्जा प्रभावी उपकरणों या नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करना ।
  8. प्रजाति के आचरण / अनुकूलन, पारंपरिक प्रभाव, फैशन उद्योग में जैव उत्पाद और ऐसे कई अन्य विषयों पर छोटी शोध परियोजनायें करना।
  9. प्रकृति से प्रेरित डिजाइनों पर आधारित फैशन शो / प्रदर्शनी का आयोजन करना । 10. पर्यावरणविद के दृष्टिकोण से विज्ञापनों का आंकलन करना और विज्ञापनों में दिखाये गये नकारात्मक संदेशों के खिलाफ कार्यवाही में भाग लेना ।
  10. विभिन्न त्यौहारों से जुड़ी रीतियों को समझना जिसमें स्थानीय धार्मिक त्यौहार व पर्यावरण पर प्रभाव डालने वाली कुछ रीतियाँ शामिल हैं (जैसे- तालाब या नदियों में मूर्तियों का विर्सजन, कचरे का ऐसा निस्तारण जिससे पर्यावरणीय स्वास्थ्य को खतरा हो आदि) । ऐसी पर्यावरण मित्र विकल्प वाली रीतियों के बारे में विचार करना जो कि धार्मिक मान्यता को भी समर्थन देती हों।
  11. पर्यावरण-मित्र स्कूल (ग्रीन स्कूल) के मॉडल की संरचना को प्रदर्शित करना ।

पृथ्वी को भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षित रखना अपने आप में एक वृहद कार्य है और यह किसी एक व्यक्ति, समूह, संस्था या राज्य के लिए अकेले करना संभव नहीं है। विश्व स्तर पर बहुत से छोटे व बड़े संरक्षण प्रयास जारी हैं लेकिन अभी भी काफी विनाश हो रहा है। एन.जी.सी जैसा वृहद अभियान ही इस तरह के कार्यों पर विराम लगा सकता है।