हम सभी जानते हैं कि हम पर्यावरण के ही अंग हैं, इसी में रहते हैं। पर्यावरण के विभिन्न घटकों, जल, वायु, वनस्पति, जीव-जन्तु आदि में हो रहे ह्रास ने मानव को ऐसे मुकाम पर खड़ा कर दिया है जो अत्यन्त चिन्ता का विषय बन गया है। पर्यावरण संकट को दूर करने का कार्य न केवल जटिल है वरन एक लम्बे समय तक चलने वाला एवं सतत कार्य है। वैसे अनेक पर्यावरणीय समस्याएँ तो पर्यावरण के प्रति हमारे दृष्टिकोण में बदलाव से ही सुलझ सकती हैं।

यदि हम अपने आस-पड़ौस की सफाई व स्वच्छता की ओर ध्यान दें तथा प्रकृति के प्रति संवेदनशील हों तो अनेक समस्याएँ अपने आप समाप्त हो सकती हैं। आवश्यकता सिर्फ दृष्टिकोण में बदलाव की है, किन्तु 105 करोड़ व्यक्तियों के दृष्टिकोण में बदलाव इतना आसान कार्य नहीं है, ना ही एक रात्रि में यह संभव है।

पर्यावरण के प्रति समाज में बदलाव लाने का सबसे अच्छा व सशक्त माध्यम हमारे बच्चे हैं। बच्चे हमारे राष्ट्र की धरोहर हैं, वे हमारा भविष्य हैं। बच्चे किसी भी परिवार को सहज ही प्रभावित कर सकते हैं। बच्चों के माध्यम से समाज में जन चेतना उत्पन्न की जा सकती है। यह महसूस करते हुए पर्यावरण शिक्षा जागरूकता और प्रशिक्षण (E.E.AT), पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&cc), भारत सरकार की एक केन्द्रीय क्षेत्र योजना है, ने राष्ट्र के लगभग सभी प्रदेशों में नेशनल ग्रीन कोर योजना ने लागू की है।

इस योजना के माध्यम से प्रत्येक जिले में 253 इको क्लब्स का गठन कर इन क्लब्स में स्कूली छात्र / छात्राओं को जोड़ा गया था। सत्र 2019-20 से इसे बढ़ाकर 503 विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में संचालित किया जा रहा हैं। बच्चों में उत्साह, उमंग, कार्य करने की भावना, जोश और निष्ठा की कमी नहीं होती, उन्हें सही राह दिखाने व वातावरण प्रदान करने की आवश्यकता है।

इन क्लब्स के माध्यम से बालकों को एक वातावरण तथा इस दिशा में कार्य करने, जानने, समझने का अवसर प्रदान किया जा रहा है, ताकि वे स्वयं जागरूक बनें तथा विद्यालय परिवार व समाज के अन्य लोगों में भी जागरूकता उत्पन्न कर सकें।

उद्देश्य:

  • पर्यावरण एवं पर्यावरणीय समस्याओं के बारे में बालकों को समझाना।
  • बालकों को पर्यावरणीय शिक्षा प्राप्त करने का अवसर उपलब्ध कराना ।
  • समाज में पर्यावरण के प्रति जन चेतना उत्पन्न करने हेतु बालकों की प्रभावी भूमिका का उपयोग करना।
  • पर्यावरण एवं विकास के क्षेत्र में निर्णायक भूमिका निभाने हेतु बालकों को सहयोग प्रदान करना।
  • पर्यावरणीय समस्याओं से बालकों को रूबरू कराते हुए उसके समाधान हेतु उन्हें विचार करने का अवसर देना।
  • बालकों को उनके आस-पड़ौस में पर्यावरण से सम्बन्धित कार्यक्रमों की क्रियान्विति में सहभागिता कराना।

क्षेत्र: नेशनल ग्रीन कोर कार्यक्रम प्रदेश के सभी 33 जिलों में संचालित किया जा रहा है।

सदस्यता:

  • प्रत्येक जिले में 500 विद्यालयों एवं 3 महाविद्यालयों का चयन किया गया है।
  • सदस्यता हेतु माध्यमिक / उच्च माध्यमिक विद्यालयों एवं महाविद्यालयों जिनमें स्काउट / गाइड यूनिट संचालित की जा रही है, को प्राथमिकता दी गई है।
  • जिले के सभी केन्द्रीय विद्यालय एवं नवोदय विद्यालयों का चयन किया गया है।
  • जिन विद्यालयों का पर्यावरण सम्बन्धी गतिविधियों का अनुभव हो उन्हें भी योजनान्तर्गत शामिल किया गया है।
  • जिले में पर्याप्त संख्या में माध्यमिक / उच्च माध्यमिक विद्यालय न होने की स्थिति में उच्च प्राथमिक विद्यालय जिनमें स्काउट / गाइड यूनिट चलती है, को भी सम्मिलित किया गया है।

पद्धति:

  • सभी सदस्य विद्यालयों में इको क्लब का गठन कर यह योजना संचालित की जा रही है।
  • विद्यालयों में पंजीकृत स्काउट गाइड युनिट को “इको क्लब” के रूप में मान्यता दी गई है। जिन विद्यालयों में स्काउट गाइड युनिट नहीं है वहा नए सदस्य बनाकर “इको क्लब की स्थापना की जाएगी।
  •  इन इको क्लब के सभी 32 स्काउट गाइड सदस्य होंगे। प्रत्येक “इको क्लब” का पर्यवेक्षण सम्बन्धित स्काउटर / गाइडर / प्रभारी अध्यापक द्वारा किया जाएगा।
  • इस आर्थिक सहायता से अग्रिम पृष्ठों पर उल्लेखित कार्यक्रम एवं गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा।
  • समय-समय पर योजना का पर्यवेक्षण संचालन एवं मॉनिटरिंग करने हेतु जिला स्तर पर जिला क्रियान्वयन एवं मॉनिटरिंग कमेटी का गठन किया गया है।
  • राज्य स्तर पर योजना के क्रियान्वयन हेतु स्टेट स्टीयरिंग कमेटी का गठन किया गया है।

इको क्लब नेशनल ग्रीन कोर व्यय

क्र.स.मद राशि
1इको क्लब बोर्ड (आवश्यक होने पर विद्यालय का नाम, रंग-रोगन आदि हेतु) (विद्यालय का नाम)200
2कचरा पात्र अनिवार्य ( पूर्व में खरीद नहीं की है तो) 1 नीला कचरा पात्र 2 हरा कचरा पात्र500
3स्वच्छता चेतना रैली, स्वच्छता कार्य, अल्पाहार, सार्वजनिक स्थानों पर बेनर / बोर्ड, खुले में शौचमुक्त रैली,
वार्ताएं जल, स्वच्छता, शौचालय निर्माण, जैव विविधता, कचरा प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन एवं टिकाऊ
विकास कार्यक्रम रिपोर्ट  
1000
4दिवस, पर्व, समारोह, प्रतियोगिता पुरस्कार प्रमाण पत्र, फोटोग्राफ आदि700
5सक्सेज स्टोरी रिपोर्ट, डी.वी.डी. फिल्म एवं प्रोजेक्ट मॉडल तैयार करना आदि1000
6वार्षिक रिपोर्ट 5 प्रतियां 1 प्रति मण्डल मुख्यालय, 1 प्रति जिला मुख्यालय, 1 प्रति ग्रुप300
7कोटामनी व उद्योग पर्व शुल्क1000
8साहित्य, ब्रोशर / पम्पलेट, स्टीकर, बैज, कैप आदि300
 योग5000

गतिविधियाँ :

इको क्लब की गतिविधियाँ-इको क्लब की प्रस्तावित गतिविधियाँ निम्नानुसार हैं:

  • National Green Corp. (NGC) Programme पर्यावरण शिक्षा जागरूकता और प्रशिक्षण (EEAT) योजना में तीन / कार्यक्रमों को सम्मिलित किया गया है-

(अ) नेशनल ग्रीन कोर (National Green Corp)

(ब) राष्ट्रीय प्रकृति शिविर कार्यक्रम (National Nature Camping Programme)

(स) क्षमता निर्माण गतिविधियां (Capacity Building Activities)

  • विद्यालयों में पर्यावरण से सम्बन्धित समस्याओं पर सेमीनार, वाद-विवाद, भाषण, वार्ताएँ आदि का आयोजन।
  • पर्यावरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थलों का अवलोकन जैसे- अभ्यारण्य, वन्यजीव पार्क, प्रदूषण युक्त व उजड़े वन क्षेत्र आदि ।
  • विद्यालय, सार्वजनिक स्थान, अस्पताल आदि की साफ-सफाई।
  • पर्यावरण के प्रति चेतना उत्पन्न करने हेतु रैली, रूटमार्च, मानव श्रृंखला, नुक्कड़ नाटक, खेल आदि का आयोजन।
  •  विद्यालय परिसर व ग्राम / कस्बों में वृक्षारोपण एवं स्वच्छता चेतना अभियान का आयोजन।
  •  कचरे के निस्तारण हेतु कम्पोस्ट पिट, गन्दे पानी की निकासी हेतु सोख्ता गड्डों का निर्माण। पानी छानकर पीने, डंडीदार लोटे का प्रयोग करने, भोजन से पूर्व व शौच के बाद हाथ धोने आदि व्यक्तिगत स्वास्थ्यप्रद आदतों के बारे में चेतना जागृत करना ।
  • सार्वजनिक स्थल जैसे- पार्क, विद्यालय परिसर खेल के मैदान, विद्यालय की फुलवारी आदि की संभाल करना। सार्वजनिक स्थल जैसे चिकित्सालय, विद्यालय, बस स्टेण्ड के आस-पास के कचरे का निस्तारण, सार्वजनिक पार्क आदि से पर्यावरण बहिष्कार कार्यक्रमों का आयोजन।
  • किचन गार्डन को प्रोत्साहन देना।
  • खुले में शौच नहीं करने के लिए जागरूक करना।
  • बावड़ी, तालाब, नदी की सफाई।
  • जल संसाधनों का रख-रखाव ।
  • इन्द्रधनुष कार्यक्रम (टीकाकरण) आदि के प्रति जागरूक करना।
  • प्रदूषण फैलाने के उद्गम स्थानों की पहचान व उनकी रोकथाम हेतु सम्बन्धित विभाग को सूचित करना।
  • स्काउटिंग गाइडिंग पाठ्यक्रम में उपलब्ध दक्षता बैजों का प्रशिक्षण देकर पास करवाना।
  • ग्लोबल पर्यावरण कार्यक्रम में गतिविधि कर डेटा अपलोड करना ।

वित्तीय सहायता : प्रत्येक इको क्लब को गतिविधियों / कार्यक्रमों के संचालन हेतु प्रतीक स्वरुप 5000 /- रुपये प्रतिवर्ष आर्थिक सहायता दी जा रही है। वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर राशि का उपयोगिता प्रमाण-पत्र संस्था प्रधान एवं इको क्लब प्रभारी के हस्ताक्षरों से सम्बन्धित सर्कल ऑर्गेनाइजर को भिजवाया जाएगा। राशि का उपयोग केवल इको क्लब गतिविधियों पर ही किया जाएगा। स्थायी सामग्री यथा बर्तन, फर्नीचर आदि क्रय नहीं किए जाएंगे।

इको क्लब प्रभारी स्काउटर / गाइडर (अध्यापक / अध्यापिका) के कार्य :

इको क्लब्स के संचालन में प्रभारी स्काउटर / गाइडर (अध्यापक / अध्यापिका) की अहम भूमिका होगी। उनकी पर्यावरण के प्रति निष्ठा, कार्यक्रमों के प्रति सक्रियता एवं निःस्वार्थ सेवा भावना स्काउट / गाइड को इको क्लब के कार्यक्रमों में सक्रियतापूर्वक भाग लेने हेतु प्रोत्साहित करेगी। प्रदेश में स्काउट / गाइड संगठन के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य था, जिसे प्रभारी स्काउटर / गाइडर के सक्रिय सहयोग एवं मार्गदर्शन से ही पूर्ण किया गया है। प्रभारी स्काउटर / गाइडर से अपेक्षा की जाती है कि वे इको क्लब हेतु प्रस्तावित गतिविधियों को प्रस्तावित कार्यक्रम योजना के अनुसार पूर्ण कराने में अपना महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करते रहेंगे।

प्रभारी स्काउटर / गाइडर के मुख्य कार्य निम्न हैं:

  1. सप्ताह में कम से कम एक दिन यथा सम्भव बुधवार को ट्रुप मीटिंग का आयोजन कर पर्यावरण से सम्बन्धित किसी गतिविधि का आयोजन करना।
  2. विद्यालय के संस्था प्रधान के परामर्श से प्रस्तावित कार्यक्रमों से सम्बन्धित गतिविधियों का प्रति सप्ताह पूर्ण तैयारी व व्यवस्था के साथ आयोजन करना ।
  3. जिला स्तरीय संयुक्त कार्यक्रमों के आयोजन में जिला मॉनिटरिंग कमेटी से समन्वय करना ।
  4. क्लब / ग्रुप द्वारा आयोजित कार्यक्रमों की प्रतिमाह मासिक रिपोर्ट जिला मॉनिटियरिंग कमेटी को द्वारा सर्कल ऑर्गेनाइजर (स्काउट/गाइड) को भिजवाना।
  5.  ग्लोबल इन्वायरमेन्ट कार्यक्रम में गतिविधियों का आयोजन कर डेटा अपलोड करना ।
  • गतिविधिया- जैविक और अजैविक वर्ग के अपशिष्ट को पृथक्करण के माध्यम से ठोस कचरा प्रबन्धन स्कूल छात्रों के मध्य दो डिब्बे दो कचरा पात्र) को सम्मिलित करते हुऐ और (4) कम करना (Reduce), पुन: प्रयोग करना पुनचक्रित करना (Recycle) और पुनः प्राप्ति करना (Rcover) की धारणा को स्थापित करते हुए जागरूकता पैदा करें।
  • नीला पात्र ठोस सुखा अपशिष्ट/जैसे कागज, अपशिष्ट / कांच अपशिष्ट आदि।
  •  गीला पात्र गीला अपशिष्ट / कचरा अपशिष्ट का पृथ्वी पर पड़ने का निपटान

(अ) विश्व पर्यावरण दिवस, आर्द्रता दिवस और पृथ्वी दिवस आदि की भांति स्कूलों में महत्वपूर्ण पर्यावरण आयोजन पर वाद विवाद प्रश्नोत्तरी, स्लोगन, चित्रकला, पोस्टर आदि सम्बन्धित विषयों पर प्रतियोगिताओं का आयोजन कराना।

(ब) वर्षा के मौसम में समयानुकूल जिला / बस्ती में स्कूल / कॉलेज परिक्षेत्र के चारों ओर पौधा रोपण का करना। वर्ष में दो बार अक्टूबर और दिसम्बर में सुविधानुसार परीक्षा पूर्व और अक्टूबर और दिसम्बर के समय स्वच्छता अभियान का आयोजन करना।

(स) प्रकृति खोज में छात्र सहभागिता करे ऑन लाइन पर्यावरण प्रश्नोत्तरी जो कि पर्यावरण बचाव व संरक्षण के  अन्तर्गत परस्पर मनोरंजन पूर्ण सीखने की राह पर जागरूकता की भावना आधारित है। प्रश्नोत्तरी की सुचना  युक्त मंत्रालय द्वारा विकसित की गई एक अलग से बेव पोर्टल हैं। www.pkeq.nic.in प्रश्नोत्तरी की तिथियाँ प्रकृति खोज की तरह ही मंत्रालय की बेव साइट पर दुरस्त / Update की जायेगी।