धर्म वो ही एक सच्चा जगत को प्यार देवें हम
जगत में दीन जन जितने, जगत में पद्दलित जितने
उन्हें ऊपर उठावें हम, जगत को प्यार देंवे हम ।
सदा जो आर्त व्याकुल हैं, उन्हें सब ही सताते हैं
उन्हें जाकर हंसावे हम, जगत को प्यार देवें हम ।
किसी को कष्ट नही देवें किसी को दुःख नही देवे
सभी को बंधु मानें हम, जगत को प्यार देवें हम
प्रभु संतान हैं सारे सभी जन हैं उसे प्यारें
भला क्यों नीच मानें हम, जग को प्यार देवें हम।
धर्म का सार यह ही है सत्य का सार यह ही है
परार्थ प्राण देवें हम, जगत को प्यार देवें हम ।
धर्म वो एक ही सच्चा जगत को प्यार देवें हम ।