चेतना गीत-आपको सलाम मेरा सबको राम राम
हम गगन तले पले धरा के पूत हैं
अग्नि बीज प्राण सलिल पंच भूत हैं
आत्मा अजर अमर है पंच भूत की
मानवी करूण कथा का एक सूत है
हम चमन के फूल हैं हमारा एक धाम
रे अब तो बोल आदमी का आदमी है नाम
आपको सलाम मेरा सबको राम राम
रे अब तो बोल आदमी का आदमी है नाम
न्याय की पुकार का गला तो रूंधे है
शब्द बाण भोथरे हैं धार कुंद है
वक्त का सवाल है जवाब कौन दे
भारती की आरती में साफ धुंध है
ये आदमी रहीम है तो आदमी है राम
रे अब तो बोल आदमी का आदमी है नाम
आपको सलाम मेरा सबको राम राम
रे अब तो बोल आदमी का आदमी है नाम
इस धरा पे आदमी है ये कमाल है
इस धरा पे आदमी तो बेमिसाल है
जो धरा का प्राण है धरा का धर्म है
आदमी तो आदमी है क्यों सवाल है
आपके रहीम हैं तो आपके हैं राम
रे अब तो बोल आदमी का आदमी है नाम