राजस्थान सरकार
कार्यालय संयुक्त निदेशक, स्कूल शिक्षा, बीकानेर संभाग, बीकानेर

क्रमांक: संनि / स्कूल शिक्षा / शै.प्र./ विविध / 2021/4165 दिनांक 21.10.2021

मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी,
बीकानेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़।

विषय:- विद्यालय में बालिका उत्पीडन एवं बाल यौनाचार की घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगाने हेतु दिशा-निर्देश। प्रसंग:- शिविरा / माध्य / मा- स / बाल संरक्षण / 2016/2113 दिनांक 16.03.2021

उपर्युक्त विषयान्तर्गत विद्यालयों में बालिका उत्पीड़न एवं बाल यौनाचार की घटनाओं पर प्रभावी अंकुश हेतु इस कार्यालय द्वारा पूर्व में भी विस्तृत दिशा निर्देश दिनांक 18.05. 2017 व 22.09.2017 को जारी किये जा चुके है।

विद्यालयों में अध्ययनरत सभी बालक / बालिकाओं को बिना किसी भेदभाव के सुरक्षित, संरक्षित एवं सर्वागीण विकासोन्मुख वातावरण में शिक्षा प्राप्त होना उनका अधिकार है परंतु लैंगिक असमानता एवं अवांछित छेड़-छाड़ की घटनाएं इसे चुनौतीपूर्ण रूप से बाधित करती रहती है। अतः इन परिस्थितियों में संस्था प्रधानों, अध्यापकों, विद्यार्थियों, विद्यालय के अन्य कार्मिकों तथा अभिभावकों में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता समीचीन है। इस बाबत विद्यालयी पाठ्यक्रम निर्माण एवं शिक्षक प्रशिक्षण विषय वस्तु में लैंगिक संवेदनशीलता को भी प्रत्यक्ष / अप्रत्यक्ष रूप से पाठ्यक्रम में समावेशित किया गया है। इसी क्रम में आपको पुनः निर्देशित किया जाता है कि आप अपने अधीनस्थ समस्त विद्यालयों में इस प्रकार की घटनाऐं रोकने के लिए विभिन्न स्तरों पर अग्रांकित विवरणानुसार तत्काल कार्यवाही सम्पादित की जानी सुनिश्चित करें:

1. विद्यालय के समस्त कार्यरत कार्मिकों, शिक्षकों SDMC व SMC के सदस्यों को “लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012” की कतिपय धाराओं यथा धारा – 19 (1) एवं 21 में विहित प्रावधान, जो समस्त कार्मिकों को दायित्वबद्ध करते हैं कि बाल / यौन प्रताड़ना से संबंधित घटनाओं पर तत्काल प्रसंज्ञान लिया जाकर नियमानुसार कार्यवाही सम्पादित की जाए की अवगति प्रदान करवाते हुए प्रत्येक स्तर पर इसकी सख्ती से पालना हेतु सम्पादित किया जाए।

2. विद्यालयों में गुड टच वेड टच की जानकारी देने हेतु प्रश्नोत्तरी, कविता, लघु नाटक, पोस्टर व कहानी इत्यादि के माध्यम से क्षेत्रिय शालीन भाषा में कार्यक्रम आयोजित किए जाए साथ ही विद्यालय में होने वाली बाल सभाओं में भी इस विषय पर जानकारी दिया जाना सुनिश्चित करावें प्रत्येक दिन प्रार्थना सभा के दौरान छात्राओं से संवाद किया जाए।

3. विद्यालयों में होने वाली अध्यापक-अभिभावक बैठक में अध्यापकों द्वारा अभिभावकों को बच्चों की सूक्ष्म गतिविधियों एवं उनके मूड पर नजर रखने, पड़ोसियों एवं रिश्तेदारों से बाल उत्पीडन से सावधान रहने के संबंध में समझाया जावें।

4. विद्यालय में कक्षा-कक्षों में सद्भावनापूर्ण वातावरण बनाने हेतु विशेष प्रयास किए जाएं एवं किशोर बालिकाओं के मध्य स्वास्थ्य व स्वच्छता संबंधी जागरूकता उत्पन्न करने एवं उन्हें गुड टच- बेड टच तथा राज्य बाल संरक्षण आयोग, बाल कल्याण समिति, पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समितियों के बारे में विस्तृत रूप में जानकारी दी जावें।

5. प्रत्येक विद्यालय में संस्था प्रधान की अध्यक्षता में यौन उत्पीड़न कमेटी गठित की जाए, जिसमें दो महिला शिक्षिका अनिवार्य रूप से हो ।

6. यथासंभव विद्यालय परिसर में आवश्यकतानुसार चिन्हित स्थानों पर लिखित चेतावनी सहित सीसीटीवी कैमरे एवं एक गरिमा पेटिका भी लगवाई जाए।

7. गरिमा पेटिका के बारे में छात्राओं को पुरी जानकारी दी जाए कि उनकी किसी प्रकार की शिकायत है, तो वे इस पेटिका में शिकायत दर्ज करवाऐं।

8. संस्था प्रधान गरिमा पेटी को प्रत्येक 15 दिन के भीतर खोले एवं उसमें प्राप्त शिकायतों का रजिस्टर संधारित करे। यदि कोई शिकायत पाई जाती है जो कमेटी तत्काल निर्णय करें।

9. विद्यालय के सूचना पट्ट तथा सुदृश्य स्थानो पर Child help line से संबंधित दूरभाषः – 1098 का स्पष्ट अंकन किया जाए तथा इस बारे में समस्त विद्यार्थियों को जानकारी दी जाए।

10. विद्यालय में उतरदायी भूमिका में निबद्ध कार्मिकों द्वारा इस तरह के अपराध में संलिप्तता पाए जान पर संबंधित पक्ष / व्यक्ति के विरूद्ध कठोर कार्यवाही अमल में लाई जाए। अतः समस्त संस्था प्रधानों, शिक्षकगणों एवं अन्य विद्यालयी स्टाफ से यह अपेक्षा की जाती है कि लैंगिक समानता के लिए संवेदनशीलता से कार्य करें एवं विद्यालयों में पूर्णतः भयमुक्त एवं विभेदमुक्त वातावरण में निर्माण में अपना भरसक योगदान प्रदान करें।

संयुक्त निदेशक स्कूल शिक्षा
बीकानेर संभाग, बीकानेर